राजस्थानी फिल्मों के डायरेक्टर और अभिनेता की जैसलमेर में हो रही है उपेक्षा
जैसलमेर में राजस्थानी फिल्मों का डायरेक्शन करने वाले और अभिनय करने वाले स्व. सत्यनारायण बिस्सा के पुत्र सवाई बिस्सा की अनदेखी की जा रही है। सवाई बिस्सा ने राजस्थानी भाषा में दर्जनों फिल्में बनाई है और कई फिल्मों के गीतों की एलबन तैयार की है। प्रतिभा के धनी सवाई बिस्सा की जैसलमेर प्रशासन द्वारा बराबर उपेक्षा की जा रही है। राजनीतिक भेदभाव के चलते उन्हें पर्याप्त सम्मान नहीं मिल रहा है। इससे कलाकार मायूस है। सवाई ने बताया कि उन्होंने दर्जनाें राजस्थान फिल्मों को अपने डायरेक्शन में तैयार किया है। वे आला दर्जै के राजस्थानी कलाकार है। फिल्में भी अपने खर्च से बनाते हैं, मगर उन्हें वो सम्मान जैसलमेर प्रशासन और जैसलमेर की जनता की ओर से नहीं मिला, जिसके वे हकदार हैं।
इतना बड़ा भेदभाव और राजनीति क्यों उनके साथ की जा रही है। इससे उनके मन को ठेस पहुंची है। इतने बड़े कलाकार के साथ अन्याय किया जा रहा है। जैसलमेर के गुदड़ी का टाइटल के नाम से बताया गया था पूर्व कलेक्टर के द्वारा इनका नाम सवाई बिस्सा है। आज तक इन्होंने करीब 6 फिल्में, कई राजस्थनी गीतों पर भी फिल्में बनाई है। इसके बावजूद इतने बड़े कलाकार को महज एक पुष्करणा समाज द्वारा एक ही एवार्ड जबकि इनकी कला के लिए इन्हें प्रति वर्ष एक एवार्ड का हक तो बनता ही है। एक इतने बड़े कलाकार के साथ ऐसा देख मन मे वेदना सी होती है साथ ही सरकारी कार्यक्रम में भी महज एक ही पुरस्कार ! सवाई बिसा अपने ही खर्चे से फ़िल्म बनाते हैं न ही सरकार या समाज की तरफ से ही आथिक न ही मोरल सपोर्ट मिलता है। ये अकेले कलाकार होने के साथ निर्माता निर्देसक वन मेन आर्मी की तरह कार्य करते है। ऐसे बेहतरीन कलाकार को देखकर गर्व भी होता है कि इस धरती पर जन्मा हीरा जैसलमेर की ही धरती काे ही है सेल्यूट है। इस महान कलाकार को पर्याप्त मान नहीं मिलने से राजस्थानी फिल्मों के कलाकारों में भी रोष व्याप्त है।

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